2 - 3 जनवरी, 2020, अहमदनगर – I
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे ने 2 से 3 जनवरी, 2020 तक कृषि विज्ञान केंद्र, अहमदनगर - I में ‘महाराष्ट्र और गुजरात के जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार (निक्रा) कृषि विज्ञान केंद्र की क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे ने बतौर मुख्य अतिथि प्रमाणित अनुकूल प्रथाओं को को बढ़ाने और निक्रा गाँवों के किसानों की सफलता की कहानियों के दस्तावेजीकरण पर जोर दिया। उन्होंने निक्रा गाँवो को जलवायु अनुकूल, कृषि आय को दोगुनी करने, लघु कृषि यंत्रीकरण के साथ-साथ कम लागत वाले कृषि और एकीकृत कृषि प्रणालियों के मॉडल के रूप में उभारने का आग्रह किया।
डॉ. जे. वी. एन. एस. प्रसाद, समन्वयक, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक, भाकृअनुप-क्रीडा, हैदराबाद ने परियोजना अवधि के दौरान प्रथाओं के प्रदर्शन के आधार पर प्रमाणित अनुकूल प्रथाओं की पहचान करने, कार्यक्रम के अगले चरण में उन्हें सुधारने के लिए ग्राम संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा करने तथा कृषि सलाह की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. आर. के. सिंह, पूर्व प्रमुख, कृषि प्रसार विभाग, चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर ने किसानों के प्रथाओं की तुलना में और जलवायु परिवर्तनशीलता की घटना के संदर्भ में अनुकूल प्रथाओं के प्रभाव की मात्रा निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर 3 किसान प्रथम केंद्रों (एमपीकेवी, राहुरी; जेएयू, जूनागढ़; और नाऊ, नवसारी) की समीक्षा भी की गई।
निक्रा गाँव - पिंपरी लोकाई दौरे के अवसर पर प्रतिभागियों को वर्षा आधारित क्षेत्र में परिरक्षित चारा बनाने, वर्षाजल का संचयन एवं संग्रहण करने, टपकन (बूँद-बूँद) सिंचाई का उपयोग करने, कम लागत के उपाय से अंगूर में पानी के तनाव को जानने, व्यापक क्यारी आधारित जुताई एवं विभिन्न फसलों में आधी सड़ी या गीली घास आदि के बारे में भी जानकारी दी गई।
कार्यशाला में 13 केवीके (महाराष्ट्र से 8 केवीके और गुजरात से 5 केवीके) के प्रमुखों, सह-प्रधान अन्वेषकों और वरिष्ठ अनुसंधान फेलो का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे)
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