14-16 जून, 2019, पुणे
केवीके की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-कृषि अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे द्वारा भा.कृ.अनु.प.-सीसीएआरआई, गोवा में 14-16 जून, 2019 के दौरान किया गया था। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र (47), गुजरात (30) और गोवा (2) के 79 केवीके ने भाग लिया और वर्ष 2018-19 के लिए अपनी प्रगति प्रस्तुत की। 8 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा के निदेशकों/प्रोफेसरों ने अपने क्षेत्राधिकार में केवीके की देखरेख के लिए अभिनव निगरानी तंत्र और विस्तार के तरीकों पर अपनी पहल साझा की।
डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली ने समापन सत्र में कहा कि केवीके विभिन्न रूपों में समयोचित कृषि-सलाहकार के माध्यम से किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए वन स्टॉप शॉप के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि प्रत्येक केवीके उद्यम आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की वास्तविक आय को बढ़ाने के लिए 2 से 3 गाँवों को आदर्श के रूप में विकसित करे। पूरे गाँव को नियमित आय सृजन के निर्वाह के लिए जमीनी स्तर के गाँव संस्थानों से जोड़ा जाना चाहिए। केवीके को संसाधन साझेदारी और अच्छे विपणन के लिए तकनीकी रूप से एफपीओ/एफपीसी बनाने या सुविधा प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। उन्होंने गाँवों में संचार की अपनी प्रणाली सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया। वस्तु (कमोडिटी) आधारित सोशल मीडिया समूह अधिक संख्या में बनाए और बढ़ाये जा सकते हैं। प्रत्येक केवीके में एक आईएफएस मॉडल विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही, सहभागिता और संसाधन चैनलकरण की स्थिति का पता लगाया जाना चाहिए। नए किसानों को केवीके से जोड़ने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर और जैव-फोर्टिफाइड फसलों/किस्मों को बढ़ावा दिया जाए। पिछले कुछ वर्षों में किसान वार डाटा बेस बनाया जाना चाहिए।
डॉ. पी. दास, पूर्व उप महानिदेशक, (कृषि विस्तार) भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली द्वारा विस्तार पद्धति और अवसरों की सीमाओं पर चर्चा की गई। केवीके को प्रौद्योगिकी परीक्षण, प्रौद्योगिकी अनुकूलन और प्रौद्योगिकी एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली को आनुपातिक दरों से बढ़ाने और संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता है। निर्णय समर्थन प्रणाली का उपयोग, कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण, संवेदनशील विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, प्रलेखन प्रक्रिया, संदर्भ आदि पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
डॉ. अशोक पटेल, कुलपति, एसडीएयू, एस. के. नगर; डॉ. के. पी. विश्वनाथ, कुलपति, एमपीकेवी, राहुरी; डॉ. एस. डी. सावंत, कुलपति, बीएसकेकेवी, दापोली; डॉ. वी. पी. चहल, अतिरिक्त महानिदेशक (कृषि विस्तार) भा.कृ.अनु.प.; डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, अटारी, पुणे और डॉ. ई. बी. चाकुरकर, निदेशक, सीसीएआरआई, गोवा ने 14 जून, 2019 को वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि केवीके कृषि प्रौद्योगिकियों की पहचान और प्रसार करने के लिए है। कृषि और गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर कृषि में युवाओं को बनाए रखना संभव हो सकता है।
(स्रोत: निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कृषि अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे)
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