29 नवंबर, 2022, नरेन्द्रपुर
भाकृअनुप-अटारी कोलकाता ने आज पश्चिम बंगाल के केवीके के लिए प्राकृतिक खेती पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन श्यामला केवीके, आरकेएमवेरी, नरेन्द्रपुर में किया, जहां केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती परियोजना के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए विस्तार से चर्चा की गई।


स्वामी शिवपूर्णानंदजी महाराज, सहायक प्रशासनिक प्रमुख, आईआरडीएम, आरकेएमवीईआरआई ने खेती की लागत को कम करने और उर्वरक की बढ़ती जरूरतों को रोकने तथा सब्सिडी के बोझ को कम करने में मदद करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाकर कृषि स्थिरता के अभिनव मॉडल और रणनीति बनाने का आग्रह किया।
डॉ. ए.के. सिंह, पूर्व कुलपति बीएयू, सबौर ने किसानों की आय और खाद्य उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों पर जोर दिया, जो कि प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के ढांचे के भीतर होना चाहिए ताकि जल तालिका, जैव विविधता और जंगली प्रजातियों तथा भूमि के लिए आवास के संकुचन एवं मिट्टी के क्षरण से बचा जा सके।
डॉ. एस.के. रॉय, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कोलकाता ने सार्वजनिक पर्यावरण जागरूकता और भागीदारी के लिए सभी को अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाने तथा अंततः पर्यावरण के नुकसान को रोकने का आग्रह किया।
डॉ. एफ.एच. रहमान, नोडल अधिकारी, प्राकृतिक खेती ने प्राकृतिक खेती पद्धति के उद्देश्यों तथा सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी और विस्तार से बताया कि परियोजना की विभिन्न गतिविधियों को कैसे संचालित किया जाए।
डॉ. एन.जे. मैत्रा, डीडीआरईएफ, डब्ल्यूबीयूएएफएस ने कृषि-पारिस्थितिकी आधारित विविध कृषि प्रणाली के बारे में उल्लेख किया और सुझाव दिया कि केवीके को किसानों और अन्य स्थानीय हितधारकों के साथ कृषि से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान करनी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान प्राकृतिक खेती पर प्रकाशन भी जारी किए गए।
इस कार्यशाला में पश्चिम बंगाल के 16 केवीके के प्रमुखों और नोडल विषय विशेषज्ञों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान कोलकाता)
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