5 नवंबर, 2022, जालना
मराठवाड़ा शेती सहाय मंडल (एमएसएसएम) के कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके), जालना-I, महाराष्ट्र ने आज यहां "कार्बन क्रेडिट और बांस की खेती" पर 303वां किसान मासिक सेमिनार का आयोजन किया।
कृषि विज्ञान मंडल (केवीएम), केवीके, जालना-I द्वारा 1997 में गठित स्वयंसेवी किसानों का एक अनौपचारिक मंच है, जिसके सदस्य केवीके के मार्गदर्शन में सार्थक एवं आवश्यकता आधारित विषयों पर हर महीने की 5 तारीख को मासिक किसान संगोष्ठी का आयोजन करते हैं।


मुख्य अतिथि, डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे ने बांस की खेती, रेशम उत्पादन, कपास में आईपीएम, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन तथा बकरी पालन आदि के लिए केवीके के प्रयासों और पहलों की सराहना की। उन्होंने आग्रह स्वरूप कहा कि केवीके किसानों के बीच पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया और अन्य शर्तों के साथ-साथ कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग पर जागरूकता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।


एमसीएईआर, पुणे के अनुसंधान निदेशक, डॉ. हरिहर कौसदीकर ने उल्लेख किया कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहल है। उन्होंने कहा कि एक कार्बन क्रेडिट, एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक कार्बन क्रेडिट का मूल्य 22 यूरो (1786 रुपये) है। उन्होंने निष्कर्ष के रूप में कहा कि बांस में कार्बन क्रेडिट उत्पादन की अधिकतम क्षमता होती है, जहां एक एकड़ बांस 80 कार्बन क्रेडिट के साथ 60,000 रुपये दे सकता है।
श्री अरुण ई. वांद्रे, निदेशक, बैंबू सोसाइटी ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र चैप्टर, कोल्हापुर ने महाराष्ट्र में खेती के लिए उपयुक्त बांस की महत्वपूर्ण प्रजातियों और बांस उद्योग में इसके उपयोग पर ध्यान केन्द्रित करते हुए वाणिज्यिक बांस की खेती के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उल्लेख किया कि बांस जलवायु अनुकूल होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण पारिश्रमिक फसल है जो अधिकतम कार्बन क्रेडिट जोड़ता है तथा एक बार लगाए जाने पर 40 वर्षों तक जीवित रहता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किस्म के विशिष्ट उद्देश्य के साथ, महाराष्ट्र के लिए, आठ प्रजातियों की पहचान की गई है।
श्री सुदाम सालुंके, ट्रस्टी, एमएसएसएम, जालना ने अपने अध्यक्ष की टिप्पणी में केवीके गतिविधियों के सफल कार्यान्वयन के लिए भाकृअनुप से प्राप्त विस्तारित समर्थन और सहयोग को स्वीकार किया तथा किसानों से कृषि में उनकी प्रगति के लिए केवीएम का लाभ उठाने की अपील की।
संगोष्ठी में जिले भर से 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया।
(स्रोत: निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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