कृषि के छात्रों से केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का हुआ सार्थक संवाद
देश में कृषि की भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक -शिवराज सिंह
कमियों को दूर करने के लिए शिवराज सिंह ने कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बनाकर रचनात्मक सुझाव लेने के ICAR को दिए निर्देश
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह बोले - कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेजों की ग्रेडिंग के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए
दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करने के उपाय करें आईसीएआर - शिवराज सिंह
27 अक्टूबर, 2025, नई दिल्ली
श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री की उपस्थिति में आज पूसा, दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन का वृहद आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री वर्चुअली जुड़े तथा डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) भी उपस्थित रहे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में बनाई गई नई शिक्षा नीति के अनुरूप देश में कृषि की भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक हैं। श्री सिंह ने कमियों को दूर करने के लिए कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बनाकर रचनात्मक सुझाव लेने के भी आसीएआर को निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेजों की ग्रेडिंग के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए।दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करने के उपाय ICAR करें।
श्री चौहान ने कहा कि खेती और गांव हमने मिलकर विकसित कर दिए तो पलायन भी रुकेगा, यह भी देश सेवा हैं। उन्होंने कहा कि हम आत्मनिर्भर बनें, ताकि किसी भी देश पर हमारी निर्भरता नहीं रहे। विकसित और आत्मनिर्भर भारत, खेती के विकास के बिना नहीं हो सकता। यह भी देखें कि कृषि निर्यात और कैसे बढ़ सकता है। साल भर में कम से कम एक बार कृषि के विद्यार्थियों को किसानों के खेतों पर जाना ही चाहिए, ताकि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान मिल सकें। किसानों की प्रैक्टिकल प्रॉब्लम्स क्या है, यह जानने के साथ ही उनका समाधान भी छात्र -छात्राएं सोचें। हमें कृषि का पूरा परिदृश्य बदलना है, जिसमें कृषि के छात्र-छात्राएं भी अपना योगदान दें।
श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री इस कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े और कहा कि आज का कार्यक्रम सबके लिए गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि खेती सबसे उत्तम व्यवसाय़ है और इसके बाद ही व्यापार का नंबर आता है। श्री चौधरी ने कहा कि अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, देश को दलहन एवं तिलहन में भी आत्मनिर्भर बनाना है। आगे उन्होंने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ ने भारतीय कृषि को नई गति दी है।
डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि भारत को विकसित बनाने हेतु कृषि का बड़ा महत्व है। आज के बदलते परिवेश में कृषि को आगे ले जाने के लिए युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी अहम है। कृषि की चुनौतियां विविध हैं उन चुनौतियों का सामना करने के लिए नई सोच पैदा करनी है। इस नई सोच पर कार्य करने की जिम्मेदारी विद्यार्थीगण पर है। मैं ये बताना चाहता हूँ कि हम जिस प्रोफेशन में हैं वो नौकरी के लिए नहीं है, ये प्रोफेशन सेवा के लिए है, और तुम विद्यार्थियों के ऊपर ईश्वर की कृपा है कि यह सेवा करने का मौका मिला है। ये बहुत बड़ी मानव सेवा है, इसे सेवा के रूप में ही लें और हमेशा सुबह शाम सोचें कि हम किसानों के लिए काम कर रहे हैं, देश की कृषि के लिए काम कर रहे हैं।
आईसीएआर के कृषि शिक्षा प्रभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कृषि छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए व केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह से सीधा संवाद स्थापित किया। विद्यार्थियों ने कृषि क्षेत्र में आ रहे बदलावों, नई तकनीकों व सरकार की नीतियों से जुड़कर आगे बढ़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, वहीं अपनी समस्याएं भी बताई।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, रिसर्च, आधुनिक तकनीकों व ज्ञान का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना था। इसमें विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान के आधुनिक आयाम और सरकार की नीतियों से अवगत कराया गया, वहीं इस मंच के माध्यम से कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने और कृषि में शोध कार्य को गति देने का प्रयास किया गया।
डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मात्स्यिकी), भाकृअनुप, ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)








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