27 दिसंबर, 2016, नई दिल्ली
एफएओ व भाकृअनुप द्वारा एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधकता हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना के लिए संयुक्त बैठक का आयोजन 27 दिसंबर, 2016 को किया गया।




डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर तथा महानिदेशक, भाकृअनुप ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि एंटीमाइक्रोबियल या एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता मनुष्य व पशु, खाद्य सुरक्षा, पौधों, मात्स्यिकी तथा जलवायु को संपूर्ण रूप से प्रभावित करने वाली वैश्विक व बहु-क्षेत्रीय चुनौती है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधकता के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना को मुख्यततः चार मुद्दों, जागरूकता, परामर्श / नीतिगत दिशानिर्देश, स्थिरता उत्पादन प्रणाली को कवर तथा आनुवंशिक तंत्र को समझने के लिए अनुसंधान करने चाहिए।
डॉ. एच. रहमान, उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) तथा डॉ. जे.के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान) ने कार्यक्रम में भाग लिया।
डॉ. जे.के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान) ने एएमआर पर भावी योजनाओं की आवश्यकता सहित भारतीय जलजीव पालन क्षेत्र पर समीक्षा प्रस्तुत की।
डॉ. श्याम खड़का, भारत प्रतिनिधि, एफएओ ने अपने संबोधन में विशेष तौर पर मनुष्य की दवाओं से संबंधित एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधकता पर समीक्षा प्रस्तुत की।
डॉ. राजेश भाटिया तथा डॉ उपाध्याय, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), डॉ. (श्रीमती) सारा, एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी), यू.एस., डॉ. सुनील गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक, नेशनल सेन्टर फॉर डीजिज कंट्रोल (एनसीडीसी), डॉ. अशोक कुमार, सहायक महानिदेशक (पशु स्वास्थ्य), डॉ. सुधीर रायजादा, सहायक महानिदेशक (अंतःस्थलीय मात्स्यिकी), डॉ. प्रवीण, सहायक महानिदेशक (समुद्री मात्स्यिकी), डॉ. अमित खुराना तथा डॉ. राजेश्वरी सिन्हा, सेन्टर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट और भाकृअनुप मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोतः मात्स्यिकी विज्ञान संभाग, भाकृअनुप)








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