2 अक्टूबर, 2016, नागौन, असम
पूर्वोत्तर भारत में "मनोरंजक महर मत्स्य पालन एवं पारिस्थितिकी पर्यटन" पर वैज्ञानिकों, हितधारकों और उद्यमियों की दो दिवसीय (1-2 अक्टूबर, 2016) राष्ट्रीय बैठक का आयोजन भाकृअनुप – शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल के जासिंगफा जल पर्यटन केन्द्र, नागौन में आयोजित किया गया।


श्री परिमल शुक्लवैद्य, मात्स्यिकी मंत्री, असम ने अपने अभिभाषण में इस बात पर बल दिया कि पूर्वोत्तर भारत विशेष तौर पर असम में मत्स्य पालन कृषि का प्रमुख हिस्सा है। जहां 95 प्रतिशत आबादी मछली का सेवन करती है और यह मनोरंजन का भी साधन है। उन्होंने कहा कि जासिंगफा जल पर्यटन रिजॉर्ट द्वारा सफलतापूर्वक नागौन, असम में पारस्थितिकी – पर्यटन की स्थापना की गई है। इस पर्यटन केन्द्र की स्थापना में भाकृअनुप – डीसीएफआर द्वारा सहयोग प्रदान किया गया है जो देश के उत्तरपूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में आदर्श सेवाएं दे रही है।
डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, आईसीएआर – डीसीएफआर, भीमताल ने कहा कि महसीर मनोरंजन के उद्देश्य से मत्स्य पालन वाली महत्वपूर्ण स्पोर्ट मछली और विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पारस्थितिकी-पर्यटन की आधारशिला है।
कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, राज्य मत्स्य अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों, उद्यमी और मछुआरे (कांटे से मछली पकड़ने वाले) सहित देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 120 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के पहले दिन मछुआरा (कांटे से मछली पकड़ना) सत्र का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न उत्तरपूर्वी राज्यों व उत्तराखंड के 96 मछुआरों ने भाग लिया।
पर्यटन विकास में स्नातकोत्तर 30 विद्यार्थियों को पारिस्थितिकी- पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप – शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल)








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