25 सितम्बर, 2023, कोलकाता
भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकता द्वारा दिनांक 25 सितम्बर, 2023 को “प्राकृतिक संसाधनों से देश के उन्नयन एवं विकास में आधुनिक तकनीकों का योगदान” विषय पर राष्ट्रीय हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, प्रो. देबी प्रसाद मिश्रा, निदेशक, राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीटीआर), कोलकाता ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया। उन्होंने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया। प्रो. मिश्रा प्राकृतिक संसाधनों एवं आधुनिक तकनीकों के बीच समन्वय बनाने के लिए भी वैज्ञानिकों को प्रेरित किया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. मुकेश कुमार सिंह, पूर्व निदेशक, उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान, (यूपीटीटीआई), कानपूर ने वर्तमान परिदृश्य में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीकों के महत्व को रेखांकित करने के साथ-साथ इसके विवेकपूर्ण उपयोग पर बल दिया।
सम्मानित अतिथि, डॉ. एनसीपान, पूर्व कार्यकारी निदेशक, निनफेट कोलकाता ने भविष्य में हिंदी में वैज्ञानिक संगोष्ठी को निरन्तर आयोजित करने के लिए प्रेरणा दी।
डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, निनफेट कोलकाता ने संगोष्ठी के माध्यम से संस्थान में वैज्ञानिक एवं प्रसाशनिक गतिविधियों में हिंदी के बढ़ते उपयोग के बारे में बताया। इसके साथ ही "राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनबीएल)" द्वारा संस्थान को मान्यता मिलने के बारे में देश के वस्त्र उद्यमी को जानकारी दी।
डॉ. एल.के. नायक, विभागाध्यक्ष, प्रौद्यो. स्था. विभाग, एवं आयोजन सचिव ने राष्ट्रीय हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठी में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन रूप से जुड़े मेहमानों को संगोष्ठी के माध्यम से हिंदी एवं विज्ञान के बारे में विचार साझा किया।
संगोष्ठी में देश के चार प्रख्यात वैज्ञानिकों, जिसमें, डॉ. के. एन. अग्रवाल, परियोजना समन्वयक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना-कृषि उपकरण और मशीनरी, भाकृअनुप-केंकृअसं, भोपाल, डॉ. अनिर्बान दत्ता, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान, रांची, डॉ. देब प्रसाद राय, प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष रासायनिक और जैव रासायनिक प्रभाग एवं डॉ. मुकेश कुमार सिंह, पूर्व निदेशक, उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई), कानपूर द्वरा मुख्य व्याख्यान दिया गया।
संगोष्ठी में भारत के 10 राज्यों के 14 संस्थानों से वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं शोध विद्यार्थियों द्वारा 21 शोध पत्र के सारांशो का प्रस्तुतीकरण किया गया। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।
(सूत्र: भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकता)
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