16 फरवरी, 2017, नई दिल्ली
श्री राधा मोहन सिंह, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा भाकृअनुप सोसाइटी की 88वीं आम बैठक की अध्यक्षता की गई जिसका आयोजन एनएएससी परिसर, नई दिल्ली में किया गया। मंत्री महोदय ने अपने संबोधन में कहा कि 87 वर्ष पूर्व भाकृअनुप की स्थापना के समय से ही विभिन्न मुश्किल चुनौतियों के बावजूद भी परिषद द्वारा विभिन्न उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं। ये उपलब्धियां कृषि प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उत्पादन एवं आय बढ़ोतरी, संस्थानों के विकास, मानव संसाधन विकास, नई तकनीकों का विकास, कृषि विविधीकरण के क्षेत्र में भाकृअनुप द्वारा सफलता के नए मानदंड स्थापित किये गए हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार, पांच सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बार के बजट में कृषि के समग्र विकास पर फोकस किया गया है जिसमें किसानों को वहन करने योग्य कर्ज उपलब्ध कराने, बीजों और उर्वरकों की सुनिश्चित आपूर्ति, सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से उत्पादकता में सुधार लाने, ई-नैम के माध्यम से एक सुनिश्चित बाजार और लाभकारी मूल्य दिलाने पर जोर दिया गया है।
- कृषि की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए सरकार ने बजट में कई पहल की है।
- आगामी वित्तीय वर्ष में कृषि क्षेत्र की प्रगति दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- 1951 से लेकर अब तक देश के खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 5 गुणा, बागवानी उत्पादन में 9.5 गुणा, मत्स्य उत्पादन में 12.5 गुणा, दूध उत्पादन में 7.8 गुणा और अंडा उत्पादन में 39 गुणा की वृद्धि हुई है।
- दूसरे अग्रिम आकलन के अनुसार पिछले वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्तमान वर्ष 2016-17 का उत्पादन उल्लेखनीय रूप से 20.41 मिलियन टन ज्यादा है।
- पिछले वर्ष 2015-16 वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष 2016-17 में रबी की बुवाई 6.86 प्रतिशत ज्यादा हुई है।
उन्होंने कहा कि कृषि की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए सरकार ने बजट में कई पहल की हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बजट में वर्ष 2017-18 के लिए ग्रामीण, कृषि और सम्बद्ध सेक्टर के लिए 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे रीपये 1,87, 223 करोड़ किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में कृषि क्षेत्र की प्रगति दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में अच्छे मानसून और सरकार की नीतिगत पहल के कारण इस वर्ष देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। वर्ष 2016-17 के लिए दूसरे अग्रिम आकलन के अनुसार देश में कुल 271.98 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया गया है ।
उन्होंने कहा कि इस बार रबी में पिछले साल 2015-16 की तुलना में गेहूं में 7.71 प्रतिशत, दलहन में 12.96 प्रतिशत और तिलहन में 12.96 प्रतिशत ज्यादा बुवाई हुई है जो कि सभी फसलों को मिलाकर पिछले वर्ष की तुलना में 6.86 प्रतिशत ज्यादा बुवाई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास करके हरित क्रांति लाने और उतरोत्तर कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1951 से लेकर अब तक देश के खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 5 गुणा, बागवानी उत्पादन में 9.5 गुणा, मत्स्य उत्पादन में 12.5 गुणा, दूध उत्पादन में 7.8 गुणा और अंडा उत्पादन में 39 गुणा की वृद्धि हुई है। इसका राष्ट्रीय खाद्य व पोषणिक सुरक्षा पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। हमारे वैज्ञानिकों ने उच्चतर कृषि शिक्षा की उत्कृष्टता बढ़ाने में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष 2016 में देशभर में दलहन के 150 बीज हब स्थापित किए गए हैं। सबसे पहले परिपक्व होने वाली मूंग की किस्म ‘आईपीएम 205-7 (विराट)’ को खेती के लिए जारी किया गया। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के प्रयासों में पिछले ढाई वर्ष में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2012 से मई 2014 तक जहां विभिन्न फसलों की कुल 261 नई किस्में जारी की गई थीं वहीं लगभग इतनी ही अवधि, जून, 2014 से दिसम्बर, 2016 में कुल 437 नई किस्में जारी की गई हैं।
कृषि के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में अक्तूबर 2016 में नई दिल्ली में समन्वय इकाई के साथ कृषि में ब्रिक्स अनुसंधान प्लेटफार्म की स्थापना करने के लिए एक समझौता किया गया। इस इकाई का प्रबंधन डेयर, भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, वर्ष 2016 में 17 अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि चूंकि राज्य का विषय है, इसलिए इसकी प्रगति में राज्यों के माननीय कृषि मंत्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इस मौके पर प्रतिनिधियों से अपील की कि वे वैज्ञानिक-राज्य-किसान सम्पंर्क विकसित करें और कृषि की प्रगति और किसानों की आमदनी व खुशहाली बढ़ाने की दिशा में केन्द्र के साथ मिलकर काम करें।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप द्वारा भाकृअनुप की उपलब्धियों पर प्रस्तुति दी गई जिसके तहत उन्होंने कृषि में उभरती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए भाकृअनुप द्वारा नई पहलों तथा उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी।
प्रो. रमेश चंद, सदस्य, नीति आयोग; श्री एस. के. सिंह, अपर सचिव, डेयर एवं वित्तीय सलाहकार, भाकृअनुप, डॉ. गुरबचन सिंह, अध्यक्ष (एएसआरबी) ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
श्री सी. राउल, अपर सचिव, डेयर एवं सचिव, भाकृअनुप ने अपने संबोधन में गणमान्यों का स्वागत किया।
विभिन्न राज्यों के कृषि, बागवानी, पशुपालन तथा मात्स्यिकी मंत्रियों; भाकृअनुप शासी निकाय के सदस्यगणों; भाकृअनुप सोसायटी के सदस्यगणों, राष्ट्रीय एवं अतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों तथा भाकृअनुप तथा डीएसी के वैज्ञानिकों व वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, नई दिल्ली)
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