29 अप्रैल, 2021, महाराष्ट्र
कृषि विज्ञान केंद्र, वाशिम और कृषि विज्ञान केंद्र, बभलेश्वर, महाराष्ट्र ने आज संयुक्त रूप से 'अमरूद में प्रशिक्षण, छँटाई और मृग बहार प्रबंधन' पर एक आभासी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

मुख्य अतिथि, डॉ. संभाजी नलकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, केवीके, बभलेश्वर ने बेहतर उपज के लिए छँटाई तकनीक, मिट्टी परीक्षण और आईएनएम के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
श्री सदाशिव रोहम, सचिव, अखिल भारतीय पेरु उत्पादक संघ ने किसानों को बाजार की मांग के आधार पर उचित किस्म का चयन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. आर.एल. काले, प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, वाशिम ने अपने संबोधन में किसानों से फल फसल रोपण को अपनाकर फसल स्वरूप में विविधता लाने का आग्रह किया। उन्होंने जैविक खादों का उपयोग करने सहित रासायनिक उर्वरकों के आवेदन को कम करके मिट्टी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की सलाह दी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य महाराष्ट्र के किसानों को अमरूद की खेती के लिए वैज्ञानिक बहार उपचार के साथ-साथ प्रशिक्षण और छँटाई तकनीक से अवगत कराना था।
(स्त्रोत: कृषि विज्ञान केंद्र, वाशिम, महाराष्ट्र)
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