भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईआईएसडब्लूसी), क्षेत्रीय केन्द्र, उद्गमंडलम द्वारा सहायक वन संरक्षकों के लिए “वन जलभराव प्रबंधन पर फील्ड अभियांत्रिकी प्रशिक्षण” विषय पर 13 दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम आईआईएसडब्ल्यूसी में आयोजित किया गया।
श्री श्रीनिवास आर. रेड्डी, आईएफएस योजना निदेशक, एचएडीपी और क्षेत्र निदेशक, मुडुमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य ने कहा कि वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण से पहाड़ों और मैदानों में जल संसाधन की वृद्धि होगी। इस प्रकार से मृदा एवं जल संरक्षण में वन विभाग के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है तथा इन प्राकृतिक संसाधनों का उपचार जलभरण सिद्धांत के आधार पर होना चाहिए।
डॉ. के. इलांगो, आईएफएस, केन्द्रीय राज्य वन सेवा अकादमी ने अपने संबोधन में कहा कि दोहन के कारण भूजल दिनोदिन घटता जा रहा है जिसे बढ़ाने के लिए कृत्रिम पुनर्भरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने देश में कृषि और औद्योगिक विकास के लिए जल आपूर्ति हेतु वन संपदा के महत्व पर जोर दिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य वन क्षेत्र में जलभराव विकास योजना के क्रियान्वयन और निर्माण से संबंधित दक्षता व ज्ञान का विकास करना था। प्रशिक्षण मॉड्यूल में क्षेत्र-भाग चयन और मिट्टी संरक्षण डिजायन की संरचना, जल निकासी नाला उपचार, जल संचयन और पुनर्भरण संरचनाएं, जलभरण में जीआईएस का अनुप्रयोग और जलभरण योजना के लिए बेंचमार्क सर्वेक्षण पर व्याख्यान दिए गए।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और जम्मू व कश्मीर के वन विभाग के 36 अधिकारियों ने प्रशिक्षु के तौर पर भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, उद्गमंडलम)
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