भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र (NCIPM), नई दिल्ली द्वारा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के विशेष संदर्भ में प्रमुख खेत तथा बागवानी फसलों में समेकित नाशीजीव प्रबंधन पर एक उन्मुखता पाठ्यक्रम का आयोजन दिनांक 16 – 18 जून, 2015 को एफएसीसी, बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, कल्याणी, पश्चिम बंगाल में किया गया। इसका आयोजन जोनल परियोजना निदेशालय जोन-2 तथा बीसीकेवी के सहयोग से किया गया।
प्रो. ए. चक्रवर्ती, कुलपति, बीसीकेवी, मोहनपुर ने अपने उद्घाटन संबोधन में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कार्यक्रम, जो कि पारिस्थितिकीय दृष्टि से समृद्ध और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित है, को लागू करने की अविलम्ब जरूरत बताई ।
प्रो. ए.के. मैती, अनुसंधान निदेशक, बीसीकेवी ने सुझाव दिया कि प्रतिभागियों द्वारा किसान भागीदारी मोड में समेकित नाशीजीव प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना चाहिए।
डॉ. सी. चट्टोपाध्याय, निदेशक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र, नई दिल्ली ने समेकित नाशीजीव प्रबंधन उन्मुखता पाठ्यक्रम की तुरंत जरूरत पर बल दिया और सुझाव दिया कि पर्यावरण अनुकूल तथा किफायती आईपीएम पैकेजों को प्रोत्साहित करने हेतु आईपीएम रणनीतियों के माध्यम से टिकाऊ फसल बचाव के लिए समुचित उपाय किए जाएं।
डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप – जोनल परियोजना निदेशालय, जोन -2 ने टिकाऊ फसल बचाव उपायों के लिए समयबद्ध और समुचित कार्रवाई करने पर प्रकाश डाला। साथ ही इन्होंने सुझाव दिया कि किसानों के बीच कहीं अधिक भरोसा पैदा करने के लिए प्रतिभागियों को आईपीएम पैकेज का पूर्ण अनुप्रयोग करना चाहिए।
पश्चिम बंगाल के 11 प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ जोन-2 के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कुल 61 एसएमएस (पश्चिम बंगाल से 21; झारखंड से 11; तथा बिहार से 30) ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत : भाकृअनुप – राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंध केन्द्र (NCIPM), नई दिल्ली)
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