'कृषि प्रणालियों के लिए तिलहन’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

'कृषि प्रणालियों के लिए तिलहन’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

कृषि प्रणालियों के लिए तिलहन’ विषय पर दिनांक 29-30 मार्च, 2016 को भाकृअनुप – भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्‍थान, मोदीपुरम, मेरठ में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम मूंगफली फसल को छोड़कर अन्‍य तिलहन फसलों को शामिल करके फसलचक्र/कृषि प्रणालियों की गतिविधियों के लिए तिलहन पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन योजना के अंतर्गत आयोजित किया गया।

Training Programme  on

डॉ. आजाद सिंह पंवार, निदेशक, भाकृअनुप – भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्‍थान, मोदीपुरम, मेरठ ने दिनांक 29 मार्च, 2016 को अपने उद्घाटन संबोधन में तिलहन उत्‍पादन बढ़ाने में कृषि प्रणालियों की भूमिका तथा इसके द्वारा देश में खाद्य तेल उत्‍पादन को बढ़ाने के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। डॉ. पंवार ने इस बात पर बल दिया कि पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश की कृषि प्रणालियों में सोयाबीन की फसल को शामिल करने से न केवल तिलहन के कुल उत्‍पादन में बढ़ोतरी होगी वरन् इससे किसानों की वित्‍तीय हालत भी सुधरेगी और साथ ही क्षेत्र में पशुओं के लिए अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली खली की उपलब्‍धता भी बढ़ेगी।

डॉ. रामबीर कटारा, उपनिदेशक, कृषि, मेरठ  समापन समारोह के मुख्‍य अतिथि थे। डॉ. कटारा ने अनुरोध किया कि खाद्य तेल की पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए तिलहन को आंतरिक अथवा मिश्रित फसल के रूप में हमारी कृषि प्रणाली में शामिल किया जाए।

डॉ. गल्‍टन सिंह, उपनिदेशक, उत्‍तर प्रदेश राज्‍य बीज प्रमाणन, मेरठ एवं ले. कर्नल जे.पी.सिंह, मेरठ कैंट इस सत्र के विशिष्‍ट अतिथि थे।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 26 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

(स्रोत : भाकृअनुप – भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्‍थान, मोदीपुरम, मेरठ)

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