इमली प्रसंस्करण और विपणन – आजीविका सुधार का एक विकल्प्

इमली प्रसंस्करण और विपणन – आजीविका सुधार का एक विकल्प्

बस्‍तर क्षेत्र गैर इमारती वन्‍य उपज की बहुलता से समृद्ध है। आदिवासी किसान अधिकांशत: इन्‍हें कच्‍चे स्‍वरूप में एकत्र करके बेचते हैं। प्राथमिक प्रसंस्‍करण तथा मूल्‍यवर्धन संबंधी गतिविधियों में इन आदिवासियों का जीवन सुधारने की बहुत क्षमता है। इनके सामूहिक विपणन और थोड़े से प्राथमिक प्रसंस्‍करण से पारिवारिक आय में उल्‍लेखनीय वृद्धि हो सकती है। बस्‍तर जिले के पेदावाड़ा खेड़े में 'छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर क्षेत्र में टिकाऊ समेकित फार्मिंग प्रणाली मॉडल तथा अन्‍य सम्‍बद्ध उद्यमों के माध्‍यम से ग्रामीण आजीविका सुरक्षा में सुधार' उप परियोजना के अंतर्गत एनएआईपी की सहायता से यह कार्य हाथ में लेने के लिए किसानों को समूहों में संगठित किया गया।

खेड़े में बड़ी मात्रा में उपलब्‍धता के कारण इमली स्‍पष्‍ट रूप से समुदाय की सबसे पहली पसंद थी। एकत्र करने के बाद इमली का व्‍यापार वर्तमान में पूरी तरह बिचौलियों के हाथ में है। वर्तमान में इमली की बहुत बड़ी मात्रा समुदाय द्वारा एकत्र की जाती है और इसकी कच्‍ची फलियों को तत्‍काल 7 रु./कि.ग्रा. की बहुत कम कीमत पर बिचौलियों को बेच दिया जाता है। इस प्रक्रिया में पूरा लाभ बिचौलियों को होता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए बिचौलियों को बाहर करते हुए समूहों के माध्‍यम से इमली के प्राथमिक प्रसंस्‍करण और व्‍यापार का कार्य आरंभ करने का निर्णय लिया गया।

इमली एकत्र करने, खरीदने और उसका प्रसंस्‍करण करने का कार्य विभिन्‍न समूहों को सौंपा गया। इन समूहों ने ग्रामीणों की सहायता से गतिविधियों की पूरी श्रृंखला गठित की तथा इससे होने वाला लाभ सभी संबंधितों में बांटा गया। इमली की फलियों को खरीदने के लिए पुरुषों के चार समूह तथा इसे प्रसंस्‍कृत करने के लिए दो महिला समूह गठित किए गए जिनमें 60 परिवारों को शामिल किया गया। पकी हुई फलियां सभी ग्रामीणों द्वारा एकत्र की गईं तथा उन्‍हें मंडी की दरों पर खरीदा गया। यह सदैव बिचौलियों द्वारा दी जाने वाली दरों से 1.0 रु. अधिक था। इस प्रकार, संग्रहकर्ताओं ने संग्रहण स्‍तर पर मूल्‍यवर्धित करके लाभ कमाया। कच्‍ची फलियों को खरीदने के पश्‍चात पुरुष समूहों ने इसे 1.0 रु. का लाभ उठाते हुए महिला समूहों को बेच दिया। यदि ऐसा न हुआ होता तो यह राशि बाहरी बिचौलियों को मिलती। महिला समूहों को कच्‍ची सामग्री प्रसंस्‍करण हेतु 8.0 रु. प्रति कि.ग्रा. की दर पर प्राप्‍त हुई। ये कच्‍ची फलियां समूह द्वारा किसी भी उस कृषक परिवार को वितरित की गई जो इमली का छिलका उतारने और उसके बीज निकालने में रुचि रखता था। इस प्रसंस्‍करण के लिए उन्‍हें प्रति कि.ग्रा. कच्‍ची इमली के लिए 2.0 रु. अदा किए गए। इससे ग्रामीण स्‍तर पर 4 माह के लिए रोजगार सृजित हुआ। एक महिला प्रतिदिन 20 कि.ग्रा. इमली को प्रसंस्‍कृत करके प्रति दिन 40 रु. कमा सकती है। प्रसंस्‍कृत सामग्री को पुन: समूह को वापस भेज दिया जाता है जो इसे विपणन के लिए 15 कि.ग्रा. के बोरों में पैक करता है। इसे 25-30 रु./ कि.ग्रा. गूदे तथा 4 रु./कि.ग्रा. बीज की दर पर बेच दिया जाता है।

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इस गतिविधि के लिए प्रशिक्षण तथा विपणन संबंधी सहायता कंसोर्टिया पार्टनर संजीवनी द्वारा उपलब्‍ध कराई गई। समूहों द्वारा सीधा विपणन भी किया गया। प्रसंस्‍कृत सामग्री को शीत गृहों में भंडारित किया गया और तब बेचा गया जब उसका बाजार मूल्‍य उच्‍च था। इससे प्रसंस्‍कृत इमली का 2.0 रु./कि.ग्रा. और अधिक मूल्‍यवर्धन हुआ।

संकलन समूह के प्रत्‍येक परिवार को औसतन 8,200 रु. प्राप्‍त हुए। खरीददार समूह को प्रसंस्‍करण करने वालू समूह को बेचने पर प्रति समूह 48,000 रु. का लाभ हुआ। दो प्रसंस्‍करण समूहों ने 1700 क्विंटल प्रसंस्‍कृत इमली को बेचा और प्रति समूह 27,000 रु. का लाभ कमाया। प्रसंस्‍करण में शामिल 92 परिवारों को 3.4 लाख रुपये वितरित किए गए और इससे 4350 मानव दिवस रोजगार सृजित हुआ। खरीद और प्रसंस्‍करण का कार्य फरवरी से आरंभ होता है और मध्‍य जून तक चलता है।

लाभ में भागीदारी की क्रियाविधि और मूलधन का प्रबंध किस प्रकार किया जाए इसका निर्णय समूह द्वारा लिया जाता है।

इस परियोजना की सहायता से समूह परियोजना वाले गांवों में उपलब्‍ध इमली के केवल 30 प्रतिशत भाग को ही खरीद सका। इससे यह संकेत मिला कि इस गतिविधि के द्वारा आय और रोजगार सृजित करने की अब भी अधिक संभावना है। यह प्रस्‍ताव है कि यह मॉडल तहाकापल, तुरंगुर और तुरेनार खेड़ों में भी अपनाया जाए जहां समूह गठित हो चुके हैं।

पेस्‍ट, सॉस तथा कैंडी बनाने के लिए और अधिक मूल्‍यवर्धन की दृष्टि से 10 समूहों के निर्माण हेतु जिला पंचायत द्वारा वित्‍तीय सहायता के रूप में 14.5 लाख रुपये उपलब्‍ध कराए गए हैं। इससे इस व्‍यापार को बढ़ाने में और सहायता मिलेगी।

(स्रोत: एनएआईपी भा.कृ.अनु.प. नई दिल्‍ली)

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