शिलांग (उमियम)
राज्य किस्म जारी समिति द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए टमाटर की एक नई किस्म मेघा टमाटर-3 जारी की गई है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र आईसीएआर अनुसंधान परिसर, बारापानी द्वारा विकसित की गई यह किस्म गंभीर बीमारी जीवाणु मुरझान के खिलाफ लड़ने तथा कम तापमान में जीवित रहने में सक्षम है।
यह किस्म बारापानी क्षेत्रों के साथ-साथ सिंचित क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। इस किस्म के जनक पूसा शीतल और लीमा हैं, जो एक विदेशी किस्म है। इसके नर एवं मादा पौधों की ऊंचाई क्रमशः 55.5 सेमी. (इनडेटर्मिनेट) तथा 35.5 सेमी (डेटर्मिनेट) होती है। इसके अलावा इसके नर एवं मादा पौधों में जो अंतर पाया जाता है वह यह है कि इसके नर पौधे सीधे, कई शाखाओं तथा बड़े फल देने वाले होते हैं, जबकि मादा पौधे बौने आकार वाले, अगेती, विभिन्न शाखाओं वाले तथा स्टार्चयुक्त होते हैं। मादा पौधों के फल मध्यम आकार के होते हैं। प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के अंतर्गत उच्च उपज के साथ मुरझान सहन करने वाली इस किस्म का पता अनेक वर्षों के परीक्षण के बाद चला है।
डॉ. बी. सी. डेका, प्रमुख, बागवानी विभाग ने कहा कि इस किस्म की संस्तुति पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए की जा रही है क्योंकि यह जीवाणु मुरझान सहिष्णु और कम तापमान सहन कर सकती है।
मेघा टमाटर-3 में 2.30 प्रतिशत अम्लता तथा 19.20 मि.ग्रा/100ग्रा. एस्कोरबिक अम्ल पाया जाता है, जो विटामिन-सी तथा एंटीआक्सीडेंट के प्रति उत्तरदायी होता है। इसके अलावा इस किस्म की विशेषता उच्च लाल रंग की उपस्थिति, लाइकोपीन है जो 36.59 मिग्रा./ग्रा. क्षमता रखता है। यह लाइकोपीन, एंटीआक्सीडेंट और कैंसर विरोधी गुणों के साथ मानव शरीर में विशेष रूप से फेफड़े और पेट के कैंसर के खिलाफ लड़ने में सक्षम है।
(स्रोत - एनएआईपी सब-प्रोजेक्ट मास-मीडिया मोबिलाइजेशन, दीपा और आईसीएआर-आरसी-पूर्वोत्तर, उमियम, शिलांग )
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