महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की कृषि विज्ञान केन्‍द्र, कोट्टायम में किसानों के साथ आपसी बातचीत

महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की कृषि विज्ञान केन्‍द्र, कोट्टायम में किसानों के साथ आपसी बातचीत

19th अप्रैल, 2016, कोट्टायम

डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने आज यहां केरल कृषि विश्‍वविद्यालय, त्रिचूर द्वारा संचालित कोट्टायम स्थित कृषि विज्ञान केन्‍द्र का दौरा किया और वहां किसानों के साथ बातचीत की।

DG, ICAR Interacted with Farmers at KVK, KottayamDG, ICAR Interacted with Farmers at KVK, Kottayam

किसानों के साथ आपसी बातचीत करते हुए डॉ. महापात्र ने बताया कि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड, प्रति बूंद – अधिक फसल के उद्देश्‍य वाली प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना, फसल बीमा के लिए प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना तथा राष्‍ट्रीय कृषि बाजार आदि जैसी विभिन्‍न योजनाओं से देश के किसान समुदाय को व्‍यापक पैमाने पर मदद मिलेगी। महानिदेशक महोदय ने बताया कि केरल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्‍थानों, राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्‍द्रों द्वारा केरल राज्‍य के किसान समुदाय को पर्याप्‍त प्रौद्योगिकीय समर्थन प्रदान किया जाएगा। उन्‍होंने सुनिश्चित किया कि समुचित प्रौद्योगिकियों की मदद से लाभप्रद तरीके से कुट्टानाड क्षेत्र में चावल की टिकाउ खेती के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सभी आवश्‍यक कदम उठाये जायेंगे। उनका विचार था कि अन्‍य उद्यमों के साथ मिलकर फार्म सघनीकरण और विविधीकरण करने से किसानों को मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव की समस्‍या का सफलतापूर्वक सामना करने में मदद मिलेगी। डॉ. महापात्र ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्‍द्रों और राज्‍य विभागों द्वारा राष्‍ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली की वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने से कृषि और उससे संबंधित उद्यमों से जुड़े अनेक महत्‍वपूर्ण मामलों को काफी हद तक सुलझाने में मदद मिलेगी।

श्री छबिलेन्‍द्र राउल, आईएएस, अपर सचिव, डेयर एवं सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपने सम्‍बोधन में पुन: दोहराया कि वन राइस वन फिश कृषि प्रणाली को अपनाने वाले कुट्टानाड क्षेत्र के किसानों द्वारा यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि लवणीय जल से किसानों के धान के खेतों में पाली जा रहीं मछलियों को नुकसान नहीं पहुंचे। कोल भूमि की लगातार डि-सिल्टिंग करने और जलभराव के लिए पानी निकालने की उपयुक्‍त क्रियाविधि से चावल फसल की वृद्धि करने तथा मछली उत्‍पादकता को सुधारने में मदद मिलेगी।

डॉ. जे. के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी) तथा डॉ. पी. राजेन्‍द्रन, कुलपति, केरल कृषि विश्‍वविद्यालय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

टीम ने कृषि विज्ञान केन्‍द्र की विभिन्‍न अधिदेशित गतिविधियों में प्रमुख उपलब्धियों पर कृषि विज्ञान केन्‍द्र के स्‍टॉफ के साथ भी विचार विमर्श किया।

(स्रोत : भाकृअनुप- कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्‍थान (अटारी), बंगलुरू)

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