सेना से सेवा निवृत्त होने के बाद उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकांश भूतपूर्व सैनिक अतिरिक्त आय के साधन के लिए या तो दुकान खोलते हैं या फिर कोई वाहन खरीदकर उसे ही आमदनी का जरिया बनाते हैं। थराली विकास खण्ड में सुनला गांव के गोपाल सिंह रावत भी अन्य सैनिकों की तरह सेवा निवृत्त होकर घर आए परंतु उन्होंने लीक से हटकर कुछ करने की सोची और सब्जी उत्पादन को व्यवसाय के रूप में अपनाया। उन्होंने दो नाली भूमि पर सब्जी उत्पादन आरम्भ किया। उस समय न तो उन्हें सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीक का ज्ञान था और न ही आवश्यक कृषि निवेश समय से उपलब्ध हो पाते थे। पर कहते हैं कि मन में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो रास्ते स्वतः ही निकल आते हैं। हुआ भी यही। एक दिन उन्होंने सुनला गांव में कृषि विज्ञान केंद्र, ग्वालदम द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया व सब्जी उत्पादन में अपनी रूचि जाहिर की।
उनकी रूचि को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने उनका पूरा साथ देते हुए प्रक्षेत्र परीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 5 गुणा 1.5 गुणा 0.5 मीटर आकार के एक पॉलीटनल हेतु पॉलीथीन उपलब्ध कराई तथा कृषि निवेश के रूप में बीज उपलब्ध कराने के साथ-साथ सब्जी उत्पादन की तकनीकी की समस्त जानकारियां भी दी। कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ने के बाद उन्होंने 10 नाली भूमि में वैज्ञानिक विधि से सब्जी उत्पादन प्रारंभ किया। गोपाल सिंह के अनुसार केंद्र के सहयोग से उसकी आय में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है और वह पिछले छः महीनों में सब्जी उत्पादन से 70 हजार रुपए अर्जित कर चुके हैं जो कि उतनी ही भूमि पर धान्य फसलें उगाने वाले उनके पड़ोसी कृषकों से लगभग सात गुना अधिक है। इस प्रकार सब्जी उत्पादक कृषक गोपाल सिंह अब अपने पड़ोसी कृषकों के लिए प्रेरणास्रोत बनते जा रहे हैं।
(स्रोत: मास मीडिया मोबलाइजेशन सब-प्रोजेक्ट, एनएआईपी, दीपा और जी. बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर)
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