भा.कृ.अनु.प.-संस्थानों ने किया हिंदी दिवस सहित हिंदी सप्ताह का आयोजन
14 सितंबर, 2020
हिंदी को भारत की राजभाषा के तौर पर स्थापित करने के लिए 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया। इस निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी सप्ताह 14 सितंबर को हिंदी दिवस से एक सप्ताह के लिए अलग-अलग प्रतियोगिताओं के आयोजन के साथ किया जाता है।
इस अवसर पर परिषद के सभी संस्थानों में श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री के संदेशों का वाचन किया गया। साथ ही, डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) द्वारा जारी वीडियो (अपील) को प्रसारित भी किया गया।
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने आज आभासी तौर पर हिंदी दिवस के आयोजन सहित एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों के साथ हिंदी सप्ताह का उद्घाटन किया।
मुख्य अतिथि, प्रो. कैलाश कौशल, पूर्व विभागाध्यक्ष, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ने हिंदी की उत्पति से लेकर उसके वर्तमान प्रसार का दृश्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि आधुनिक हिंदी के जनक और प्रेरणास्त्रोत भारतेन्दु हरिशचंद्र थे। भाषा के साथ संस्कृति के जुड़ाव को बताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा है तो संस्कृति है और संस्कृति है तो देश का अस्तित्व है।
प्रो. (डॉ.) पी. एल. सरोज, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्थान में हिंदी की प्रगति पर बोलते हुए कहा कि संस्थान ने पिछले कुछ वर्षों में हिंदी के कार्यालयीन कार्य में उल्लेखनीय प्रगति की है। भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली द्वारा इस वर्ष संस्थान की राजभाषा पत्रिका को प्रथम पुरस्कार दिए जाने पर हर्ष जताते हुए उन्होंने संस्थान के कार्मिकों से इस प्रगति को निरंतर बनाए रखने की अपील की।
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद
डॉ. विलास ए. टोणपि, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने आज हिंदी चेतना मास समारोह का आभासी (वर्चुअल) तौर पर उद्घाटन किया। डॉ. टोणपि ने इस अवसर पर गौरवान्वित होते हुए कहा कि हिंदी भारत में राजभाषा तथा संपर्क भाषा का दायित्व पूर्ण तत्परता के साथ निभा रही है।
डॉ. महेश कुमार, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी (राजभाषा) ने बताया कि ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ एवं ‘हिंदी चेतना मास’ के तौर पर मनाए जाने के कारण सितंबर माह हमारे संस्थान के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कदन्नों में उपस्थित पौष्टिक तत्त्वों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने में हिंदी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने हिंदी चेतना मास के दौरान आयोजित किए जाने वाले विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा हिंदी में हस्ताक्षर अभियान के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर
मुख्य अतिथि, डॉ. श्रीमती विजया लक्ष्मी सक्सेना, निर्वाचित अध्यक्षा, भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था, कोलकाता ने आज हिंदी दिवस के अवसर पर भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में हिंदी सप्ताह के आभासी आयोजन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हिंदी भारतीय जनमानस की भाषा है जिसे भारतीय विज्ञान का वाहक होना चाहिए। श्रीमती सक्सेना ने अपील की, कि हिंदी में लिखित वैज्ञानिक पुस्तकों को पाठ्यक्रम के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।
डॉ. अशोक कुमार सक्सेना, पूर्व अध्यक्ष, भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था ने कहा कि हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान की पुस्तकों एवं शोध पत्रों का अधिक-से-अधिक प्रकाशन हिंदी माध्यम में किया जाना चाहिए ताकि विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया जा सके।
डॉ. विमल मोहन्ती, सहायक महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने इस अवसर पर परिषद की ओर से संस्थान की सराहना की।
डॉ. वसंत कुमार दास, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने बताया कि संस्थान के सभी तकनीकों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हिंदी भाषा में पुस्तिकाओं एवं लीफलेट को प्रकाशित कर उसे मत्स्य कृषकों तक पहुँचाया जा रहा है ताकि वो अधिक-से-अधिक लाभान्वित हो सकें।
भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आज हिंदी दिवस के आयोजन के साथ हिंदी चेतना मास का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्राध्यापक, हिंदी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की भी संवाहक है। उन्होंने राजभाषा हिंदी के विकास की गाथा एवं कृषि विज्ञान के क्षेत्र में इसकी उपादेयता पर विस्तृत व्याख्यान दिया। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि भाषा में शब्दों को आने से रोकने के कारण भाषा की सामर्थ्य एवं शक्ति कम हो जाती है।
डॉ. जगदीश सिंह, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने संस्थान में राजभाषा में हो रहे कार्यों व गतिविधियों की समीक्षा की। उन्होंने भाषाओं की सांख्यिकी का विश्लेषण करते हुए हिंदी का दैनिक जीवन में अधिक प्रयोग करने का अनुरोध किया। डॉ. सिंह ने कृषि विज्ञान की पुस्तकों के लेखन में हिंदी के प्रयोग से होने वाले लाभों से अवगत कराते हुए कृषि वैज्ञानिकों से मरू धरती से पूर्वोत्तर तक हिंदी में कृषि शोध, शिक्षण एवं विस्तार की सामग्रियों को उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन में कोविड के सभी सावधानियों का पालन करते हुए आभासी तौर पर हिंदी दिवस सहित हिंदी सप्ताह के आयोजन का समापन हुआ।
डॉ. सी. एन. रविशंकर, निदेशक, भाकृअनुप-केमाप्रौसं, कोचिन ने संस्थान द्वारा राजभाषा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों को रेखांकित किया एवं संस्थान के राजभाषा विभाग को प्राप्त दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रीय पुरस्कार एवं परिषद द्वारा पुरस्कृत राजर्षि ठंडन पुरस्कार प्राप्ति पर प्रशंसनात्मक बधाई दी।
इस अवसर पर विस्तार सूचना एवं सांख्यिकी प्रभाग संबंधी ई सार पुस्तिका का वर्चुअल माध्यम से विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान समाचार वाचन एवं अशुभाषण हिंदी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई, जिसमें कर्मचारियों ने भाग लिया। विजेताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नगद पुरस्कार भी दिए गए।
(स्त्रोत: संबंधित भा.कृ.अनु.प.-संस्थान)
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