25 जुलाई, 2025, नई दिल्ली
भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि अर्थशास्त्र विभाग ने आज नई दिल्ली में "कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रभाव के आकलन हेतु पद्धतिगत ढाँचे" पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य उत्पादकता, स्थिरता और नीति निर्माण पर कृषि नवाचारों के प्रभावों के मूल्यांकन हेतु कठोर पद्धतियों की समझ को सुदृढ़ करना था।

डॉ. चिरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-आईएआरआई ने वर्तमान कृषि परिदृश्य में साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, पोषण, पर्यावरणीय स्थिरता, आय सृजन और रोजगार सृजन जैसी उभरती चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. पी.के. जोशी, पूर्व निदेशक, आईएफपीआरआई-दक्षिण एशिया ने उद्घाटन संबोधन देते हुए कृषि नीतियों और निवेश निर्णयों को आकार देने में प्रभाव आकलन के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने भारत भर में कृषि प्रौद्योगिकियों की यात्रा और उनके मापनीय परिणामों को दर्शाने वाले केस स्टडीज़ भी साझा किए।
डॉ. सी. विश्वनाथन, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), भाकृअनुप-आईएआरआई ने आर्थिक अधिशेष मॉडल और प्रभाव अध्ययनों में यादृच्छिक नियंत्रण परीक्षणों के अनुप्रयोग पर अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की।

डॉ. राव की अध्यक्षता में आयोजित एक पैनल चर्चा में डॉ. राका सक्सेना (नीति आयोग), डॉ. अंजनी कुमार (आईएफपीआरआई), डॉ. आर.एन. पडारिया, भाकृअनुप-आईएआरआई, और डॉ. स्मिता सिरोही (आईसीएआर) जैसे प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल हुए। पैनल ने प्रभाव अध्ययनों को राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने और अंतःविषय सहयोग को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया।
कार्यशाला में नीति आयोग, आईएफपीआरआई, राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना, आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, भाकृअनुप-आईएआरआई, असम तथा भाकृअनुप के विभिन्न प्रभागों सहित विभिन्न संस्थानों के 53 प्रतिभागियों ने भाग लिया और कृषि क्षेत्र में प्रभाव मूल्यांकन की नीतिगत प्रासंगिकता बढ़ाने पर संवाद को बढ़ावा दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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