6 अक्टूबर, 2023, अल्मोड़ा
हिन्दी दिवस के अवसर पर 14 से 30 सितम्बर, 2023 तक भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में हिन्दी पखवाड़े का आयोजन किया गया। जिसका समापन समारोह 5 अक्टूबर, 2023 को डॉ. हरि शंकर गुप्त, अध्यक्ष, असम कृषि आयोग, असम सरकार (पूर्व महानिदेशक बोरलॉग इन्सटीट्यूट ऑफ साउथ एशिया, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप, नई दिल्ली एवं भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा) के मुख्य अतिथ्य में संपन्न हुआ।
डॉ. गुप्त ने अपने संबोधन में संस्थान में हो रही हिन्दी की प्रगति की सराहना की तथा कहा कि हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जिसके द्वारा संस्थान अपने उत्कृष्ट शोध को आम जन तक पहुंचा कर पर्वतीय कृषि का उत्थान कर सकते हैं। उन्होने वैज्ञानिको का आहृवाहन करते हुए कहा कि वे अपने शोध को प्रक्षेत्र तक सरल हिन्दी माध्यम से ले जाएं, ताकि कृषक उसका भरपूर लाभ उठा सकें।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, प्रो. दिवा भट्ट, पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग, सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा; डॉ. जगदीशचन्द्र भट्ट,पूर्व निदेशक भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा, डॉ. एच.सी. भटृाचार्य, डीन, डैफोडिल कालेज ऑफ हार्टिकल्चर, डीएमईटी, खेतड़ी, असम एवं श्री संजीव देष्टा, किसान, हिमाच लप्रदेश, सदस्य, शोध सलाहाकार समिति यहां उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथि, हिन्दी की प्रकाण्ड विदुषी, डॉ. दिवा भटृ ने हिन्दी की विशेषता व महत्व को बताते हुए कहा कि अब तो तकनीकी शब्दावलियां भी हिन्दी में आने लगी है। ऐसे में हमारा कत्तर्व्य हो जाता है कि हम वैज्ञानिक शोध के परिणामों को प्रस्तुत करने में भी अधिकाधिक हिन्दी का प्रयोग करें।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. जे.सी. भट्ट ने पूर्व में संस्थान में हिन्दी प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने संस्थान की हिन्दी पत्रिका ‘हरीतिमा’ के सम्बन्ध में भी चर्चा की।
डॉ. लक्ष्मीकान्त, निदेशक, विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने संस्थान में हो रही हिन्दी की प्रगति से अतिथियों को अवगत कराया। इस अवसर पर स्वरचित कविता पाठ प्रतियोगिता के आयोजन के बारे में भी सूचना साझा किया।
इसके उपरान्त मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों एवं संस्थान के निदेशक द्वारा पखवाड़े के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं में चयनित वैज्ञानिकों, अधिकारियों व कार्मिकों को पुरस्कार तथा प्रमाण पत्र भेंट की।
कार्यक्रम का सफल संचालन मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं प्रभारी, राजभाषा, श्रीमती रेनू सनवाल तथा धन्यवाद प्रस्ताव, डॉ. प्रियंका खाती, वैज्ञानिक ने किया।
(भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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