भाकृअनुप-एनआरसीसी द्वारा नुब्रा घाटी में उष्ट्र आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के लिए कृषक-वैज्ञानिक संवाद का आयोजन

भाकृअनुप-एनआरसीसी द्वारा नुब्रा घाटी में उष्ट्र आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के लिए कृषक-वैज्ञानिक संवाद का आयोजन

18 अगस्त, 2023, बीकानेर

भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसन्‍धान केन्‍द्र (एलआरसीसी), बीकानेर के वैज्ञानिक दल ने दो कुबड़ीय उष्ट्रों के सर्वेक्षण, स्वास्थ्य, पोषण, जनन एवं प्रजनन संबंधी समस्याओं पर विचार-विमर्श तथा उष्ट्र पालन व्‍यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए लद्दाख की नुब्रा घाटी में दिनांक 16 से 18 अगस्त 2023 को कृषक-वैज्ञानिक संवाद एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया।

भाकृअनुप-एनआरसीसी द्वारा नुब्रा घाटी में उष्ट्र आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के लिए कृषक-वैज्ञानिक संवाद का आयोजन   भाकृअनुप-एनआरसीसी द्वारा नुब्रा घाटी में उष्ट्र आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के लिए कृषक-वैज्ञानिक संवाद का आयोजन

परिचर्चा के मुख्‍य अतिथि, डॉ. राजेश रंजन, कुलपति, सेन्‍ट्रल इंस्टिटयूट ऑफ  बुद्धिष्ट स्‍टडीज, लेह ने कहा कि दो कुबड़ीय उष्‍ट्रों की संख्या का बढ़ना, पर्यटनीय एवं इसके संरक्षण की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तो है ही, साथ ही इस क्षेत्र के लोगों की आजीविका में भी सहायक सिद्ध होगा।

विशिष्ट अतिथि, डॉ. ओमप्रकाश चोरसिया, निदेशक, डी.आर.डी.ओ. ने चारा सामग्री के लिए स्‍थानीय घासों एवं झाडि़यों के संरक्षण पर जोर दिया।

डॉ. मोहमद इकबाल, निदेशक पशुपालन विभाग, लद्दाख ने उष्‍ट्रों के विकास हेतु एनआरसीसी से और अधिक अध्‍ययन की आवश्‍यकता जताई ।   

डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआरसीसी ने कहा कि नर उष्‍ट्रों को पर्यटन हेतु तथा मादा उष्‍ट्रों को दूध उत्पादन के लिए प्रयोग में लिया जाना चाहिए; जिससे पूरे वर्ष इस प्रजाति का समुचित उपयोग हो सके तथा ऊँट पालकों को दूध से भी आमदनी मिल सके।

पशुपालक परिचर्चा एवं स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कार्यक्रम में लगभग 50 उष्‍ट्र पालकों ने कुल 176 दो कुबड़ीय उष्‍ट्रों के साथ उपस्थिति दर्ज कराई।

(स्रोतः भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसन्‍धान केन्‍द्र, बीकानेर)

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