17 अक्टूबर, 2025, लखनऊ और रोम
जमीनी स्तर पर नवाचार की एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की एक पहल, मिशन नवशक्ति को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन से वैश्विक तकनीकी मान्यता प्राप्त हुई है। यह मान्यता 10-17 अक्टूबर को रोम स्थित एफएओ मुख्यालय द्वारा ऑनलाइन आयोजित विश्व खाद्य मंच 2025 के 80वें वर्षगांठ समारोह के दौरान प्रदान की गई, जिसका विषय "बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ से हाथ मिलाना" था।
डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य पालन), भाकृअनुप ने मिशन नवशक्ति टीम को बधाई दी और इसे "अनुसूचित जाति की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव की चिंगारी" बताया। एफएओ की यह मान्यता जलीय आजीविका के लिए मापनीय, समावेशी एवं टिकाऊ मॉडल बनाने की इस पहल की क्षमता की वैश्विक पुष्टि है।

भाकृअनुप की अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के अंतर्गत कार्यान्वित मिशन नवशक्ति, सजावटी मछली पालन एवं एक्वेरियम निर्माण में सूक्ष्म उद्यमिता को बढ़ावा देकर अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं को सशक्त बनाता है। इस पहल ने कौशल विकास, आय सृजन और समुदाय-आधारित उद्यम निर्माण के माध्यम से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की 425 से अधिक महिलाओं के जीवन को बदल दिया है।
एफएओ ने भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के तकनीकी नेतृत्व, सहयोगात्मक दृष्टिकोण और हाशिए पर पड़े समुदायों पर प्रभाव के लिए, संयुक्त राष्ट्र के चार बेहतर सिद्धांतों: बेहतर उत्पादन, पोषण, पर्यावरण और जीवन के अनुरूप, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर के कार्यों को सम्मानित किया। यह सम्मान प्रतिष्ठित GO08 वैश्विक तकनीकी मान्यता समारोह के दौरान डॉ. क्यू डोंग्यू, महानिदेशक, एफएओ, द्वारा प्रदान किया गया।
मिशन नवशक्ति का प्रभाव इसके हब-एंड-स्पोक मॉडल पर आधारित है, जिसके तहत आईसीएआर-एनबीएफजीआर, लखनऊ में एक केन्द्रीय नवशक्ति एक्वागिरी बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर (एनएबीआईसी) स्थापित किया गया है। एनएबीआईसी सजावटी मछलियों, एक्वेरियम और दस्तकारी के सामानों के लिए एक बाजार और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो महिला उद्यमियों को सीधे शहरी बाजारों से जोड़ता है।
यह पहल बाराबंकी के धनकुट्टी गाँव में 50 महिलाओं के साथ शुरू हुई तथा अब सीतापुर, उन्नाव, कानपुर देहात, लखनऊ और यहाँ तक कि उदयपुर (राजस्थान) तक फैल गई है।
मिशन नवशक्ति के तहत प्रशिक्षित महिलाओं ने अपने बैकयार्ड में सीमेंट के तालाब बनाए हैं, घरेलू कुंडों को मछलीघरों में बदला है, और फ़िल्टर, एलईडी लाइट, चारा, सजावटी मछलियाँ और सजावट सामग्री सहित संपूर्ण स्टार्टर किट का उपयोग करके छोटे एक्वेरियम बनाए हैं। उल्लेखनीय रूप से, साझेदार संगठनों के साथ बाय-बैक व्यवस्था ने बाजार से जुड़ाव और आय स्थिरता सुनिश्चित की है।

इस परियोजना ने महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं से सक्रिय उद्यमियों के रूप में आगे बढ़ने में मदद की है, जिससे उन्हें न केवल वित्तीय स्वतंत्रता ही नहीं मिली है, बल्कि सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण भी मिला है। इस आंदोलन को बनाए रखने में तकनीक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, व्हाट्सएप समूहों ने वास्तविक समय में सहायता, ज्ञान का आदान-प्रदान तथा सहकर्मी से सीखने को संभव बनाया है।
ग्रामीण उद्यमिता को और बढ़ावा देने के लिए, हाईटेक फिशरीज, बाराबंकी और एनएबीआईसी में संग्रहण एवं बिक्री केन्द्र (सीएंडपीओएस) स्थापित किए गए हैं, जो स्थायी आपूर्ति श्रृंखला और स्थानीय विपणन के अवसर प्रदान करते हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें