7 सितंबर, 2025, बीरभूम
रथिन्द्र कृषि विज्ञान केन्द्र, किसान-केन्द्रित नवाचार का केन्द्र बन गया है क्योंकि विकसित कृषि संकल्प अभियान (वीकेएसए) आज एक नए चरण में प्रवेश किया है। इस अभियान में, पिछले खरीफ-पूर्व अभियान के दौरान उनके योगदान के लिए एफपीसी, स्वयं सहायता समूहों तथा सामुदायिक समूहों को सम्मानित करने के लिए एक साथ लाया गया, साथ ही आगामी रबी-पूर्व वीकेएसए की योजना पर सक्रिय चर्चा भी हुई।
डॉ. पी.के. घोष, कुलपति, विश्वभारती, ने साक्ष्य-आधारित योजना एवं प्रौद्योगिकी अपनाने के महत्व पर ज़ोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आगामी रबी अभियान किसानों की आय, उत्पादकता तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी सहनशीलता को मजबूत करे।

डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने वीकेएसए अभियान को आगे बढ़ाने में किसान संगठनों की भूमिका की सराहना की और बताया कि कैसे ऐसी पहल तथा संस्थानों का अभिसरण बीरभूम तथा उसके बाहर किसान-नेतृत्व वाले नवाचार एवं ग्रामीण परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, ग्रीन एफपीसी (इलमबाजार), बीरभूम एग्रो एफपीसी (दुबराजपुर), नौसुबा एफपीसी (मोलारपुर), नानूर चंडीदास कल्चरल सोसाइटी (नानूर), रामपुरहाट-II ऑर्गेनिक फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (रामपुरहाट-II), कुखुटिया चांदीपुर एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (दुबराजपुर), और भूमिलाखी एग्री बिजनेस प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (खोयरा) को सम्मानित किया गया।

किसानों की आजीविका को मजबूत करने के लिए मुर्गी पालन आधारित आय सृजन को बढ़ावा देने हेतु स्वयं सहायता समूहों को बीज और स्थानीय स्तर पर निर्मित कम लागत वाले इनक्यूबेटर (एक बार में 500 अंडे देने की क्षमता), इस कार्यक्रम में वितरित किया गया।
कार्यक्रम में पिछले प्रयासों की सराहना और रबी मौसम के लिए रणनीतिक तैयारी, दोनों को प्रतिबिंबित किया गया, जिसमें किसान संस्थानों, विस्तार एजेंसियों और स्थानीय नवप्रवर्तकों को विकसित भारत @2047 के व्यापक दृष्टिकोण के साथ जोड़ा गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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