पंजाब के नूरपुर बेट में फसल अवशेष प्रबंधन प्रदर्शन दिवस का आयोजन

पंजाब के नूरपुर बेट में फसल अवशेष प्रबंधन प्रदर्शन दिवस का आयोजन

14 अक्टूबर, 2025, लुधियाना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन I, लुधियाना ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केन्द्र, समराला के सहयोग से 14 अक्टूबर, 2025 को लुधियाना के नूरपुर बेट में फसल अवशेष प्रबंधन प्रदर्शन एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के बीच स्थायी अवशेष प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना तथा धान की पराली के यथास्थान प्रबंधन हेतु नवीन तकनीकों का प्रदर्शन करना था, जिससे अवशेष जलाने को हतोत्साहित किया जा सके और संरक्षण कृषि को बढ़ावा मिले।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान और रेल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री, श्री रवनीत सिंह बिट्टू उपस्थित रहे।

Crop Residue Management Demonstration Day Held at Nurpur Bet, Punjab

सभा को संबोधित करते हुए, श्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल अवशेष जलाने को समाप्त करने के लिए भारत सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की और इसे न केवल एक पर्यावरणीय अनिवार्यता बताया, बल्कि किसानों के कल्याण, मृदा स्वास्थ्य एवं स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी बताया। उन्होंने जागरूकता तथा सामूहिक जिम्मेदारी के महत्व पर बल दिया और ग्राम पंचायतों, स्थानीय प्रतिनिधियों एवं नोडल अधिकारियों से आउटरीच गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि सब्सिडी तथा मशीनरी सहायता बिना किसी देरी या लीकेज के सीधे किसानों तक पहुँचनी चाहिए, तथा उन्होंने उपग्रह डेटा, हॉटस्पॉट पहचान एवं सख्त प्रवर्तन के माध्यम से अवशेष जलाने की वास्तविक समय की निगरानी का आह्वान किया। एक व्यक्तिगत उदाहरण पेश करते हुए, उन्होंने घोषणा की कि वे प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए धान की कटाई के तुरंत बाद स्वयं गेहूं की बुवाई करेंगे।

अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों में, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप); डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप; डॉ. एस.एन. झा, उप-महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी); डॉ. डी.के. यादव, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान); डॉ. सतबीर सिंह गोसल, कुलपति, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय; डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, ज़ोन I; डॉ. गुरदीप सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी, लुधियाना; और डॉ. वी.के. रामपाल, अन्य शामिल थे।

डॉ. जाट ने अवशेष प्रबंधन से संबंधित अनुसंधान, जागरूकता तथा विस्तार में भाकृअनुप की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "शून्य फसल अवशेष जलाना कोई विकल्प नहीं है, बल्कि टिकाऊ खेती के लिए एक आवश्यकता है," और उन्होंने एसएसएमएस से सुसज्जित कंबाइन हार्वेस्टर और सीधी बुवाई विधियों को बड़े पैमाने पर अपनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ये पद्धतियां जल संरक्षण करती हैं, श्रम को कम करती हैं, मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती हैं और फसल अवशेष जलाने से होने वाले पोषक तत्वों और कार्बनिक पदार्थों के नुकसान को रोकती हैं।

Crop Residue Management Demonstration Day Held at Nurpur Bet, Punjab

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय तथा विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों के विशेषज्ञों ने हाल के परीक्षणों, अवशेष अपघटन में अनुसंधान नवाचारों, लागत-लाभ विश्लेषण और सीआरएम मशीनरी के क्षेत्रीय अनुकूलन से प्राप्त अंतर्दृष्टि साझा की। केन्द और राज्य के अधिकारियों ने संवेदनशील क्षेत्रों में सीआरएम तकनीकों को अपनाने के विस्तार के लिए नीतिगत उपायों, प्रोत्साहन योजनाओं तथा रणनीतियों पर चर्चा की।

कार्यक्रम में पीएयू के सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, स्मार्ट सीडर एवं हैप्पी सीडर का लाइव फील्ड प्रदर्शन किया गया, जिसमें फसल अवशेषों के प्रबंधन और अगली फसल के लिए खेतों को तैयार करने में उनकी दक्षता पर प्रकाश डाला गया। कृषि ड्रोन प्रदर्शन ने फसल निगरानी एवं कुशल भूमि प्रबंधन के लिए आधुनिक सटीक तकनीकों का प्रदर्शन किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन I, लुधियाना)

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