बिहार और झारखंड के केवीके की आभासी वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
बिहार और झारखंड के केवीके की आभासी वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

14-15 जुलाई, 2021, पटना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, बिहार ने 14 से 15 जुलाई, 2021 तक 'जोन - IV के केवीके की आभासी चौथी वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला' का आयोजन किया।

अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने केवीके से अपने जिलों की 3 से 4 वस्तुओं की पहचान करने और बिहार में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने 3 से 4 या उससे अधिक वस्तुओं को शामिल करते हुए समूह आधार पर किसान उत्पादक संगठनों और विपणन चैनल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सीएसआईएसए की उपलब्धियों में चावल की प्रारंभिक और मध्य मौसम की किस्मों की बुवाई तिथि की उन्नति के परिणामस्वरूप किसानों के उत्पादन में बढ़ोतरी सहित आय में 30% से 40% तक की वृद्धि हुई। डॉ. सिंह ने केवीके को पिछले 5 वर्षों के दौरान अपनी आय दोगुनी करने वाले 110 किसानों की सफलता की कहानियों को पहचानने और उन्हें सामने लाने के लिए प्रोत्साहित किया। इन कहानियों का विमोचन 15 अगस्त, 2022 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा।

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डॉ. आर. सी. श्रीवास्तव, कुलपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार ने रोजगार और आय प्रदान करने के लिए ग्रामीण स्तर पर कचरा प्रबंधन पर जोर दिया।

डॉ. रामेश्वर सिंह, कुलपति, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना ने किसानों और वैज्ञानिकों के बीच की खाई को पाटने में केवीके की भूमिका पर प्रकाश डाला।

डॉ. ओ. एन. सिंह, कुलपति, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, राँची, झारखंड ने जैविक सब्जी की खेती पर प्रौद्योगिकियों को लाने का आग्रह किया, जिनकी ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाजारों में मांग अधिक है।

डॉ. ए. के. सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, पटना, बिहार ने जोर देकर कहा कि केवीके का काम भौगोलिक क्षेत्र पर आधारित होना चाहिए।

डॉ. उज्जवल कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, बिहार ने बाजार संबंधों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. डी. मैती, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा ने 'एक जिला एक वस्तु' अवधारणा पर जोर दिया।

डॉ. के. के. शर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान, राँची, झारखंड ने चावल के खेत के बाँध पर लाख खेती के लिए वृक्षारोपण, विशेष रूप से बेर और पलास का कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया जिससे आय में 25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

इससे पूर्व अपने स्वागत संबोधन में डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पटना ने जोन-IV की चल रही गतिविधियों और उपलब्धियों को रेखांकित किया।

राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा के निदेशकों एवं सहयोगी निदेशकों (विस्तार) के साथ-साथ वरिष्ठ वैज्ञानिकों और 68 केवीके के प्रमुखों ने वेबशॉप में भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थानपटनाबिहार)

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