भाकृअनुप-सीफा ने 37वां वार्षिक दिवस मनाया
भाकृअनुप-सीफा ने 37वां वार्षिक दिवस मनाया

1 अप्रैल, 2024, भुवनेश्वर

भाकृअनुप-मीठाजल जीव पालन संस्थान (भाकृअनुप-सिफा), भुवनेश्वर, ओडिशा ने आज अपने कौशल्यागंगा परिसर, भुवनेश्वर में अपना 37वां वार्षिक दिवस मनाया। मीठे पानी के जलीय कृषि पर देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत वर्ष 1987 में इसी दिन एक संस्थान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। इस अवसर पर भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कोलकाता की निदेशक, डॉ. धृति बनर्जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। डॉ. अमरेश कुमार नायक, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, और डॉ. देबासिस दास, निदेशक, जीवन विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर भी सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

ICAR-CIFA celebrates 37th Annual Day

डॉ. बनर्जी ने कृषि प्रधान देश के लिए प्रकृति की रक्षा पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा हर साल लगभग 300 नई पशु प्रजातियों की पहचान की जाती है। डॉ. बनर्जी ने बताया कि जेएसआई सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए भाकृअनुप-सिफा के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा।

डॉ. नायक ने गरीब लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा को संबोधित करने में अधिक सहयोग का आग्रह किया।

डॉ. डैश ने जीवन विज्ञान के विविध क्षेत्र में आईएलएस और भाकृअनुप-सिफा के बीच सहयोग पर जोर दिया।

डॉ. पी.के. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीफा ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें मानकीकृत क्रिस्पर-कैस- 9 जीन संपादन तकनीक के साथ कैटफ़िश का प्रजनन, तीन प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण, आईओटी-आधारित स्मार्ट स्वचालित मछली फीडर विकसित करना, क्षेत्रीय भाषाओं में मत्स्य सेतु ऐप को मजबूत करना, और मछली के स्वास्थ्य लाभों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वेब पोर्टल विकसित करना शामिल है।

संस्थान ने 12 प्रौद्योगिकियों/ उत्पादों/ पद्धतियों के लिए भाकृअनुप प्रमाणन प्राप्त किया, सहयोगात्मक अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संगठनों के साथ 13 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए और 3 पेटेंट हासिल किए।

कार्यक्रम के दौरान गणमान्य व्यक्तियों ने संस्थान के नौ प्रकाशनों का विमोचन किया।

समारोह में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपनी भागीदारी दर्ज करायी।

(स्रोत: भाकृअनुप-मीठाजल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर)

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