30 अक्टूबर, 2024, बीकानेर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा उष्ट्रों में उप-नैदानिक और नैदानिक थनैला रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए “का-मैस्टी-टेस्ट” (KaMastiTest) नामक एक नैदानिक परीक्षण विकसित किया है। अन्य डेयरी पशुओं की तरह मादा उष्ट्र में भी थनैला रोग से दूध की गुणवत्ता तथा उत्पादन में कमी के कारण काफी आर्थिक नुकसान होता है।
डॉ. आर.के. सावल, निदेशक, एनआरसीसी ने बताया कि वर्तमान में उष्ट्र में थनैला रोग के शुरुआती निदान के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण उपलब्ध नहीं है। नतीजतन, उष्ट्र-पालक तथा पशु-चिकित्सक उन परीक्षणों पर निर्भर करते हैं, जो विशेष रूप से गायों और भैंसों के लिए विकसित किए गए हैं। ये परीक्षण अक्सर उष्ट्र के लिए पर्याप्त संवेदनशीलता और विशिष्टता प्रदर्शित नहीं करते, जिससे उप-नैदानिक और नैदानिक थनैला के शुरुआती चरण का पता लगाने में कठिनाई होती है। “का-मैस्टी-टेस्ट“ द्वारा इस समस्या का समाधान करना आसान हो गया है साथ ही किसानों को उप-नैदानिक और नैदानिक थनैला रोग का जल्द पता लगाने में सक्षम बनाया है। निदेशक ने कहा कि दुधारू उष्ट्र की नियमित जांच से स्वच्छ दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, इसकी भंडारण क्षमता एवं सार्वजनिक स्वीकृति बढ़ेगी। यह सक्रिय दृष्टिकोण खाद्य जनित बीमारियों की घटनाओं को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा में भी योगदान देगा।
डॉ. राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरसीसी ने बताया कि “का-मैस्टी-टेस्ट“ को उपयोग में आसान और कम लागत वाला बनाया गया है, जिससे प्रशिक्षित उष्ट्र-पालक, पशु-चिकित्सक, या पशुधन सहायक इसे अपने खेतों या घरों में बिना किसी उन्नत उपकरण या महंगे रसायनों की आवश्यकता के प्रयोग कर सकते हैं।
यह परीक्षण पिछले दो वर्षों से प्रयोगशाला परीक्षण के अधीन रहा है और इसे फील्ड-स्तर पर सत्यापन के लिए किसानों के बीच सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है। स्वच्छ दूध उत्पादन को बढ़ावा देने और थनैला रोग से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किसानों को परीक्षण किट वितरित की जा रही है।
(स्रोतः भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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