7 सितम्बर, 2024, बीकानेर
जिलाधिकारी, बीकानेर, श्रीमती नम्रता वृष्णि ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का आज अवलोकन किया। इस दौरान श्रीमती वृष्णि ने उष्ट्र संग्रहालय, राइडिंग स्थल, उष्ट्र डेयरी, डेयरी प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण इकाई, कैमल मिल्क पार्लर व पर्यटकों के लिए विकसित किए गए टूरिज्म स्थलों का जायजा लिया।
जिलाधिकारी ने कहा कि परिषद के अधीनस्थ यह संस्थान अपने अनुसंधान कार्यों व उष्ट्र पर्यटन को लेकर अपनी वैश्विक पहचान रखता है तथा यह संस्थान बीकानेर को भी एक नई पहचान दिलाई है, देश और दुनिया के हजारों पर्यटक यहां भ्रमणार्थ आते हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय कैमलिडस् वर्ष-2024’ की महत्ता का जिक्र करते हुए एनआरसीसी को और अधिक कैमल टूरिज्म फ्रेंडली के रूप में विकसित करने की बात कहीं तथा प्रशासनिक स्तर पर भी इसकी कवायद प्रारम्भ करने की बात की। साथ ही, केन्द्र द्वारा संचालित उष्ट्र पर्यटन गतिविधियों तथा मादा उष्ट्र के दूध से बनने वाले उत्पादों, यथा- कुल्फी, लस्सी व अन्य उत्पादों के प्रसंस्करण व इनके निर्माण आदि में गहन रूचि प्रदर्शित की।
एनआरसीसी के निदेशक, डॉ. आर.के. सावल ने संस्थान के अनुसंधान कार्यों एवं प्राप्त उपलब्धियों के बारे में बताते हुए उष्ट्रों की संख्या, बदलते परिवेश में इनकी उपादेयता तथा उष्ट्र बाहुल्य क्षेत्रों में इस प्रजाति के संरक्षण आदि को लेकर संस्थान द्वारा किए जा रहे व्यावहारिक प्रयासों व इनकी प्रगति के बारे में जानकारी दी। निदेशक ने बताया कि मादा उष्ट्र का दूध विभिन्न मानव रोगों, यथा- मधुमेह, आटिज्म, क्षय रोग आदि के प्रबंधन में कारगर है साथ ही इस दूध की मौसमी बीमारियों आदि में लाभकारिता हेतु समन्वयात्मक अनुसंधान जारी है, इसकी भी बात की। उन्होंने कहा कि उष्ट्र पालकों व उद्यमियों को उद्यमिता हेतु प्रशिक्षण प्रदान कर विकसित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण का कार्य सतत रूप से जारी है।
इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. राकेश रंजन, वैज्ञानिक, डॉ. शांतनु रक्षित व पशु चिकित्सक, डॉ. काशीनाथ मौजूद रहे।
(स्रोतः भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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