25 अक्टूबर, 2024, बीकानेर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा जनजातीय उप-योजना के तहत सिरोही के लोटाना एवं मुदरला गांवों में दो दिवसीय (24- 25 अक्टूबर) पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिनमें 290 पशुपालकों विशेषत: महिलाओं की सक्रिय भागिता देखी गई।
डॉ. आर.के. सावल, निदेशक, एनआरसीसी ने कहा कि भारत सरकार की इस योजना के अंतर्गत केन्द्र द्वारा पशुपालन व्यवसाय को लाभदायक बनाने एवं उनके सामाजिक आर्थिक स्तर में महत्वपूर्ण सुधार हेतु पशु स्वास्थ्य शिविरों, कृषक-वैज्ञानिक संवाद, गोष्ठियों, स्वच्छता व शिक्षा संबंधी जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से पशुधन से श्रेष्ठ उत्पादन प्राप्त करने, मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने एवं पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के समाधान, वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन साथ-साथ अद्यतन जानकारी प्रदान की जाती है। उन्होंने योजनाओं में निहितार्थ उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु पशुपालकों को प्रोत्साहित किया।
डॉ. राजेन्द्र कुमार पटेल, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग सिरोही ने पशुधन स्थिति एवं संबद्ध समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए इन स्वास्थ्य शिविरों का अधिकाधिक लाभ उठाने की बात की।
डॉ. चन्द्रशेखर बड़गुजर, वरिष्ठ पशु चिकित्सक, पिण्डवाड़ा ने पशुपालकों को जनन, प्रजनन, स्वास्थ्य, पोषण आदि संबंधी पर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता जताई।
केन्द्र के डॉ. राकेश रंजन, डॉ. श्याम सुन्दर चौधरी, डॉ. काशीनाथ व उनकी टीम ने पशु चिकित्सा शिविरों में लाए गए विभिन्न पशुओं, यथा- 208 उष्ट्र , 315 गाय 285 भैंस, 1129 बकरी-भेड़ सहित कुल 1937 की गर्भ एवं प्रजनन तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जांच की। पशुओं में थनैला बीमारी की समय रहते जांच करने तथा फील्ड में कैलिफ़ोर्निया मैस्टाइटिस टेस्ट (सीएमटी) का पशुपालकों के समक्ष प्रदर्शन किया ताकि समय रहते संक्रमित दूध से मानव स्वास्थ्य को प्रभावित होने से रोका जा सके। टीम ने सिरोही के एक ऊँट टोले से खून की जांच के लिए 102 नमूने लिए।
संवाद के दौरान पशुपालकों ने पशु स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को एनआरसीसी टीम के समक्ष रखा जिनके उचित निराकरण संबंधी जानकारी दी गई। साथ ही ग्रामीण अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मूदरला के 300 स्कूली छात्र-छात्राओं को स्कूल किट बैग आदि वितरित किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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